कि हममें से कोई एक बेवफा होता तो अच्छा था
तड़प नज़दीक आने की दिलों में उम्र भर रहती
हमारे बीच थोडा फासला होता तो अच्छा था
बज़ाहिर शक़्ल पर मेरी बहुत से झूठ लिक्खे थे
मेरे भीतर कोई आकर मिला होता तो अच्छा था
समझती सब थी तेरी बातों से,आँखों से,चेहरे से
मगर ऐ काश तूने कह दिया होता तो अच्छा था
लतीफों का चलन,बदहाली से दम तोड़ते अशआर
मैं एक शायर न होकर मसखरा होता तो अच्छा था
(नए मरासिम में प्रकाशित)
सचिन अग्रवाल
bahut khoob
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