जल्दबाज़ी में
छूट जाता है
कुछ न कुछ
कुछ न कुछ
हो जाती है गलतियां
हड़बड़ी में
पत्र लिखते हुए
नहीं रहती
चित्रकार के
चित्र में सफाई
कहीं फीके
कहीं गाढ़े
लग जाते हैं रंग
कट जाती है उंगलियां
सब्जी काटते-काटते
जब देखते हैं हम पलटकर
बीते दिनों के पन्ने
हमारी गलतियां
सबक की शक्ल में
मुस्कुराती हैं !
-निर्मल आनन्द
sach me जब देखते हैं हम पलटकर
जवाब देंहटाएंबीते दिनों के पन्ने
हमारी गलतियां
सबक की शक्ल में
मुस्कुराती हैं !..sundar
सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआभार