एक बचपन का जमाना था,
जिस में खुशियों का खजाना था..
चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दिवाना था..
खबर ना थी कुछ सुबहा की,
ना शाम का ठिकाना था..
थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था...
माँ की कहानी थी,
परियों का फसाना था..
बारिश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था..
अज्ञात (फेसबुक से प्राप्त)
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