जब कभी किसी
तन्हा सी शाम
बैठ अकेले चुपचाप
पलटोगे जीवन पृष्ठों को
सच कहना तुम
क्या रोक सकोगे
इतिहास हुए उन पन्नों पर
मुझको नज़र आने से
क्या ये कह पाओगे
भुला दिया है मुझको तुमने
कैसे समझाओगे ख़ुद को
बहते अश्कों में छिपकर
याद मेरी जब आयेगी
शाम की उस तन्हाई में
-गीता तिवारी
अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय
गोरखपुर ,उ.प्र.
तन्हा सी शाम
बैठ अकेले चुपचाप
पलटोगे जीवन पृष्ठों को
सच कहना तुम
क्या रोक सकोगे
इतिहास हुए उन पन्नों पर
मुझको नज़र आने से
क्या ये कह पाओगे
भुला दिया है मुझको तुमने
कैसे समझाओगे ख़ुद को
बहते अश्कों में छिपकर
याद मेरी जब आयेगी
शाम की उस तन्हाई में
-गीता तिवारी
अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय
गोरखपुर ,उ.प्र.
साफ़ सरल शब्दों में बयां होते जज़बात
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