भीनी भीनी मोरी चुनरिया
कान्हा की रंग गई चदरिया
कान्हा की रंग गई चदरिया
चांदी की थाली अबीर-रोली सजाई
माथे पे बिंदिया, काजल नैना रचाई
राधा संग रसिया जी आओ
पान बताशा भोग लगाओ
कजरी गाओ धूम मचाओ
तन-मन उमंगपिय होली मनाओ
झांझ बजी खंजड़ी बजी खड़ताल
मन तरंग चंदन सजी,तबला झपताल
अंग-अनंग बसंती रची होली नूतन रंग
चुनरी अम्बरीश से सने छंदो की भंग
रंगरेजन की नांद में कैसे उआंसो जाय
ढोल-नंगाड़ो का हुड़दंग
मस्त-मलंग हुई जाय...
बुधवार को प्रकाशित मधुरिमा की कविता

वाह :) होली की बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनायें!
रंगों से सराबोर पंक्तियाँ |
जवाब देंहटाएंहोली कि बहुत-बहुत बधाई |
बहुत सुन्दर होली के रंग
जवाब देंहटाएंमुझे इसमें भक्ति, श्रृंगार और मस्ती तीनों का सुंदर मेल दिखता है। शब्द ऐसे बहते हैं जैसे ढोल और खड़ताल की ताल कानों में गूंज रही हो। राधा-कान्हा की छवि बहुत सहज और जीवंत लगती है। पान, बताशा, कजरी और अबीर सब मिलकर पूरा माहौल बना देते हैं।
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