यह कहानी रूस के महान लेखक अंतोन चेखव द्वारा लिखी गई है।
एक वृद्ध किसान अपनी बीमार पत्नी को पीछे की सीट पर बैठा के
एक कमजोर घोड़े से खींची गई गाड़ी में
एक दूरस्थ शहर इलाज के लिए ले जा रहा था।
लंबी यात्रा के दौरान, किसान ने अपने आप से बातें करते हुए, अपनी पत्नी को सांत्वना दी।
उसने कहा कि उसने अपने जीवन भर में अपनी पत्नी के साथ कठोरता बरती, जबकि वह
पिछले चालीस वर्षों से कठिनाई, दुख, और कष्ट सहते हुए खेतों में काम करती रही और घर के सारे काम अकेले ही करती रही।
अब उसे महसूस हुआ कि वह अपनी पत्नी के साथ बहुत सख्ती से पेश आया था। उसे यह समझ आया कि अब उसे अपनी पत्नी को दयालुता और स्नेह के साथ पेश आना चाहिए,
और उसे मीठी और कोमल बातें सुनानी चाहिए।
किसान ने अपनी पत्नी से कहा कि उसने उसे गलत तरीके से माना
और जीवन ने भी उसके साथ अन्याय किया,
क्योंकि उसने कभी भी अपनी पत्नी को एक प्यारा शब्द,
एक नरम मुस्कान या स्नेह का एक पल नहीं दिया।
पूरे सफर के दौरान, उसने दुख और पछतावे के साथ अपनी बातें साझा की,
उसके शब्द मानव आत्मा में गहरे निशान छोड़ते गए-
जैसे पानी पत्थर पर धीरे-धीरे गिरकर उसे काटता है।
उसने अपनी पत्नी से वादा किया कि
आने वाले वर्षों में वह उसकी सारी इच्छाएं पूरी करेगा।
जब वे शहर पहुंचे, तो उसने पहली बार अपनी पत्नी को
अपनी बाहों में उठाकर
डॉक्टर के पास ले जाने की कोशिश की।
लेकिन जब उसने अपनी पत्नी को उठाया,
तो वह ठंडी और मृत पाई गई।
वह यात्रा के दौरान ही मर चुकी थी-
उसकी मीठी और दुखी बातें सुनने से पहले ही वह दुनिया को अलविदा ले चुकी थी!
यह कहानी दर्दनाक ढंग से समाप्त होती है, और हमें यह समझाती है कि
अक्सर हम उन लोगों की अहमियत तब समझते हैं जब बहुत देर हो जाती है।
समय पर दिए गए एक सुंदर शब्द या एक फूल की कीमत तब कहीं अधिक होती है,
जब वह समय पर दिया गया हो। देर से किए गए कार्य अब किसी काम के नहीं होते-
जैसे मृत शरीर पर माफी का एक बेतुका चुम्बन।
"सुंदर कार्यों को देर से मत छोड़ो, क्योंकि वे कभी फिर से नहीं हो सकते।"
साभार
सुंदर,प्रेरणादायक ,संदेशात्मक।
जवाब देंहटाएंसादर।
------
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ४ मार्च २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।