रविवार, 10 दिसंबर 2017

इज़्ज़त का सवाल....गोवर्धन यादव


                              शादी से पूर्व सरला ने अपना निर्णय कह सुनाया था कि अभी वह और आगे पढ़ना चाहती है। जब उसके होने वाले भावी पति ने अपनी सहमती जतलाते हुए उससे वादा किया था कि शादी के बाद वह आगे पढ़ सकती है और समय आने पर कोई अच्छी सी नौकरी भी कर सकती है। इसी आश्वासन के बाद वह शादी करने के लिए राज़ी हो पायी थी।

                  ससुराल में रहते हुए वह घर के सारे काम निपटाती और समय बचाकर अपनी पढ़ाई में जुट जाती। बीए तो वह पहले ही कर चुकी थी। उसने अब एम.ए. करने के फ़ार्म आदि भर दिए थे। एक समय आया कि उसने पूरे संभाग में प्रथम स्थान बनाया था। घर का हर सदस्य उसकी तारीफ़ करते नहीं अघाता था।

                   एम.ए. में प्रथम स्थान बना चुकने के बाद उसने पी.एस.सी. की परीक्षाएँ देने का मानस बनाया। कड़ी मेहनत और लगन ने वह सब कर दिखाया जिसकी उसने कभी कल्पना की थी। उसे तो अब पूरा विश्वास हो चला था कि यदि वह यू.पी.पी.एस.सी. की परीक्षा दे दे तो उसमे में सफलता हासिल कर सकती है।

                   पी.एस.सी. का रिज़ल्ट आने के कुछ समय बाद पर्सनल इंटरव्यू दिया और वह उसमें भी उत्तीर्ण हो गई। कुछ समय पश्चात उसकी पोस्टिंग तहसीलदार के पद पर हो गई। एक ओर उसे अपनी सफलता पर नाज़ हो रहा था तो दूसरी तरफ़ घर में हंगामा मचा हुआ था। घर के सारे लोग इस बात पर ख़ुश हो रहे थे जबकि उसका पति अवसाद में घिरा बैठा था। वह नहीं चाहता था कि जिस तहसील कार्यालय में वह एक मामूली बाबू की हैसियत से काम कर रहा है, उसकी बीवी उसी आफ़िस में उसकी बॉस बनकर काम करे।
...........गोवर्धन यादव

2 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसे सवालों में उलझे हैं कई उत्तर बाहर आने के लिए। सामयिक प्रस्तुति। पुरुष सत्ता से संचालित समाज में इस मानसिकता पर अब प्रहार ज़रूरी है।

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