भीनी भीनी मोरी चुनरिया
कान्हा की रंग गई चदरिया
कान्हा की रंग गई चदरिया
चांदी की थाली अबीर-रोली सजाई
माथे पे बिंदिया, काजल नैना रचाई
राधा संग रसिया जी आओ
पान बताशा भोग लगाओ
कजरी गाओ धूम मचाओ
तन-मन उमंगपिय होली मनाओ
झांझ बजी खंजड़ी बजी खड़ताल
मन तरंग चंदन सजी,तबला झपताल
अंग-अनंग बसंती रची होली नूतन रंग
चुनरी अम्बरीश से सने छंदो की भंग
रंगरेजन की नांद में कैसे उआंसो जाय
ढोल-नंगाड़ो का हुड़दंग
मस्त-मलंग हुई जाय...
बुधवार को प्रकाशित मधुरिमा की कविता