मंगलवार, 17 जनवरी 2017

आसरा,,,,,,,विरेंदर 'वीर' मेहता




"लाखों आशियाने पर एक रात का आसरा नहीं।" गली में किसी की पुकार सुन विश्वा ने कोठरी से बाहर देखा। उसका 'मोती' (कुत्ता) एक अजनबी फ़कीर पर भौंक रहा था। सहसा विश्वा को मजाक सूझा और वह अपनी 'बोतल' संभालकर हंस पड़ा। "चल जोगिया, आज की रात मैं बनता हूँ तेरा आसरा। पर एक शर्त है कि तुझे 'मदिरा' पीनी होगी मेरे साथ, क्योंकि मैं तो बिन पिये सोया नहीं आज तक।" 
"जैसी रब की मर्ज़ी।" फ़कीर भी हंसने लगा। "लेकिन बच्चा, अगर हम पियेंगे तो आज तू नहीं पियेगा। बोल क्या बोलता है?"
विश्वा सोच में पड़ गया लेकिन फिर मुस्कराने लगा। "ठीक है जोगिया आज यही सही।"
रात तो ग़ुज़रनी ही थी आख़िर गहरी होते-होते ग़ुज़र गयी। .........
"इतनी सुन्दर सुबह।" खो सा गया विश्वा।
"अच्छा बच्चा चलता हूँ अपने धर्म-कर्म की राह पर।" फ़कीर की आवाज़ से विश्वा सूर्योदय के जादू से बाहर आ गया। "बाबा। मैंने तो रात एक मज़ाक किया था और तुमने एक रात के आसरे के लिये अपना धर्म-कर्म सब खो दिया।"
"नहीं मेरे बच्चे, सिर्फ़ एक आसरे के लिये नही!" मुस्कराता हुआ फ़कीर चल दिया।
'पक्षियो की चहचहाट, नदी की हिलोरे लेती लहरें और चमत्कारी सूर्योदय' और भी कितना कुछ उसको देकर जा रहा था वह अलमस्त फ़कीर, मानो कह रहा हो। "मेरी एक रात ने तो तेरे सारे अंधेरे को समेट लिया बच्चा।"
पीछे-पीछे चल पड़ा था उसका प्यारा 'मोती' और विश्वा उन्हें जाते दूर तक देखता रहा, सिर्फ़ देखता रहा।
-विरेंदर 'वीर' मेहता

मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

क्या आपने कभी इन पश्चिमी दार्शनिकों को पढ़ा है


*लियो टॉल्स्टॉय (1828 -1910)*
"हिन्दू और हिन्दुत्व ही एक दिन दुनिया पर राज करेगी, क्योंकि इसी में ज्ञान और बुद्धि का संयोजन है"।

*हर्बर्ट वेल्स (1846 - 1946)*
" हिन्दुत्व का प्रभावीकरण फिर होने तक अनगिनत कितनी पीढ़ियां अत्याचार सहेंगी और जीवन कट जाएगा । तभी एक दिन पूरी दुनिया उसकी ओर आकर्षित हो जाएगी, उसी दिन ही दिलशाद होंगे और उसी दिन दुनिया आबाद होगी । सलाम हो उस दिन को "।

*अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 - 1955)*
"मैं समझता हूँ कि हिन्दूओ ने अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो यहूदी न कर सके । हिन्दुत्व मे ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती है"।

*हस्टन स्मिथ (1919)*
"जो विश्वास हम पर है और इस हम से बेहतर कुछ भी दुनिया में है तो वो हिन्दुत्व है । अगर हम अपना दिल और दिमाग इसके लिए खोलें तो उसमें हमारी ही भलाई होगी"।

*माइकल नोस्टरैडैमस (1503 - 1566)*
" हिन्दुत्व ही यूरोप में शासक धर्म बन जाएगा बल्कि यूरोप का प्रसिद्ध शहर हिन्दू राजधानी बन जाएगा"।

*बर्टरेंड रसेल (1872 - 1970)*
"मैंने हिन्दुत्व को पढ़ा और जान लिया कि यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है । हिन्दुत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिन्दुत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे । एक दिन ऐसा आएगा कि हिन्दू ही दुनिया की वास्तविक उत्तेजना होगा "।

*गोस्टा लोबोन (1841 - 1931)*
" हिन्दू ही सुलह और सुधार की बात करता है । सुधार ही के विश्वास की सराहना में ईसाइयों को आमंत्रित करता हूँ"।

*बरनार्ड शा (1856 - 1950)*
"सारी दुनिया एक दिन हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेगी । अगर यह वास्तविक नाम स्वीकार नहीं भी कर सकी तो रूपक नाम से ही स्वीकार कर लेगी। पश्चिम एक दिन हिन्दुत्व स्वीकार कर लेगा और हिन्दू ही दुनिया में पढ़े लिखे लोगों का धर्म होगा "।

*जोहान गीथ (1749 - 1832)*
"हम सभी को अभी या बाद मे हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा । यही असली धर्म है ।मुझे कोई हिन्दू कहे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं यह सही बात को स्वीकार करता हूँ ।"

विपुल लखनवी "बुलेट" की फेसबुक वाल से

गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है....


एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे. एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बनकर खड़ा हो
जाता हूं, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ.

भगवान मान जाते हैं, लेकिन शर्त रखते हैं कि जो भी लोग प्रार्थना करने आयें, तुम बस उनकी प्रार्थना सुन लेना. कुछ बोलना नहीं, मैंने उन सभी के लिए प्लानिंग कर रखी है.

सेवक मान जाता है.

सबसे पहले मंदिर में बिजनेसमैन आता है और कहता है, भगवान मैंने नयी फैक्ट्री डाली है, उसे खूब उंचाई पर पहुंचाना और वह माथा टेकता है, तो उसका पर्स नीचे गिर जाता है. वह बिना पर्स लिये ही चला जाता है.

सेवक बेचैन हो जाता है. वह सोचता है कि रोक कर उसे बताये कि पर्स गिर गया, लेकिन शर्त की वजह से वह नहीं कह पाता.

इसके बाद एक गरीब आदमी आता है और भगवान को कहता है कि घर में खाने को कुछ नहीं, भगवान मदद कर.....तभी उसकी नजर पर्स पर पड़ती है. वह भगवान का शुक्रिया अदा करता है और चला जाता है.

अब तीसरा व्यक्ति आता है. वह नाविक होता है. वह भगवान से कहता है कि मैं 15 दिनों के लिए जहाज लेकर समुद्र की यात्रा पर जा रहा हूं यात्रा में कोई अड़चन न आये भगवान.

तभी पीछे से बिजनेसमैन पुलिस के साथ आता है और पुलिस को बताता है कि मेरे बाद ये नाविक आया है. इसी ने मेरा पर्स चुराया है, पुलिस नाविक को पकड के ले जा रही होती है कि भगवान की जगह खडा सेवक बोल पड़ता है कि पर्स तो उस गरीब आदमी ने उठाया है.

अब पुलिस उस गरीब आदमी को पकड़ कर जेल में बंद कर देती है.

रात को भगवान आते हैं, तो सेवक खुशी-खुशी पूरा किस्सा बताता है.
भगवान कहते हैं, तुमने किसी का काम बनाया नहीं, बल्कि बिगाड़ा है.

वह व्यापारी गलत धंधे करता है. अगर उसका पर्स गिर भी गया, तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ना था. इससे उसके पाप ही कम होते, क्योंकि वह पर्स गरीब इनसान को मिला था. पर्स मिलने पर उसके बच्चे भूखों नहीं मरते.

रही बात नाविक की, तो वह जिस यात्रा पर जा रहा था, वहां तूफान आनेवाला था. अगर वह जेल में रहता, तो जान बच जाती. उसकी पत्नी विधवा होने से बच जाती. तुमने सब गड़बड़ कर दी.

बात पते की. 
कई बार हमारी लाइफ में भी ऐसी प्रॉब्लम आती है, जब हमें लगता है कि ये मेरा साथ ही क्यों हुआ. लेकिन इसके पीछे भगवान की प्लानिंग होती है. जब भी कोई प्रॉब्लम आये. उदास मत होना. इस स्टोरी को याद करना और सोचना कि जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है....

गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

विभिन्न पुस्तकों से संकलित

विभिन्न पुस्तकों से संकलित

कठिनाईयाँ

जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाईयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाईयों को मिटा नहीं सकते। क्योंकि अपनी समस्याओं एंव कठिनाईयों की वजह आप स्वयं हैं।

असंभव

इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं। हम वो सब कुछ कर सकते है, जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है, 
जो आज तक हमने नहीं सोचा।

हार ना मानना

बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी, जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है। इसलिए लक्ष्य की ओर बढ़ें। अर्थ- हार व जीत का
सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है और असफलता हमें दुनिया का सहीं परिचय करवाती है।

सच्चा आत्मविश्वास

अगर किसी चीज़ को आप सच्चे दिल से चाहो तो पूरी कायनात 
उसे तुमसे मिलाने में लग जाती हैं।

सच्ची महानता

सच्ची महानता कभी न गिरने में नहीं बल्कि 
हर बार गिरकर फिर से उठ जाने में हैं।

गलतियां

अगर आप समय पर अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते है तो आप एक और गलती कर बैठते है। आप अपनी गलतियों से तभी सीख सकते है जब आप अपनी गलतियों को स्वीकार करते है।

चिन्ता

अगर आप उन बातों एंव परिस्थितियों की वजह से चिंतित हो जाते है, जो आपके नियंत्रण में नहीं हैं तो इसका परिणाम समय की बर्बादी एवं भविष्य में पछतावा है।

शक्ति

ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम हैं जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है।

मेहनत

हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते है और अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो परिस्थितियां व समय हमारा भाग्य लिख ही देंगी।

सपने

सच कहे तो सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है, 
सपने तो वो है जो हमको नींद हीं न आने दें।

समय

आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास समय नहीं है क्योंकि आपको भी दिन में उतना ही समय (२४ घंटे) मिलता है जितना समय महान एंव सफल लोगों को मिलता है। समय सभी काे एक समान ही मिलता हैं।

विश्वास

विश्वास में वो शक्ति है जिससे उजड़ी हुई दुनिया में प्रकाश लाया जा सकता है। विश्वास पत्थर को भगवान बना सकता है और अविश्वास भगवान के बनाए इंसान को भी पत्थर दिल बना सकता हैं। विश्वास की नीव पर टिके है सारे रिश्तें।

सफलता

दूर से हमें आगे के सभी रास्ते बंद नजर आते हैं क्योंकि सफलता के रास्ते हमारे लिए तभी खुलते हैं जब हम उसके बिल्कुल करीब पहुँच जाते हैं।

सोच

बारिश के दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उडकर बारिश को ही नज़रअन्दाज कर देते है। समस्याए समान है, लेकिन आपका नजरिया इनमें फर्क पैदा करती है। इसलिए अपने सोचने के नजरिये में बदलाव करें।

प्रसन्नता

यहा पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है... 
ये आप ही के कर्मों से आती है .... आपके कर्मं ही निमित्त बनते हैं।

निमित्त भाव

आप सिर्फ निमित्त मात्र हैं इस संसार में। यह संसार एक रंगमंच हैं - सभी मनुष्य आत्मायें अपना-अपना Part Play कर रही हैं। जाे आत्मा अपना Part निमित्त भाव से Play कर रही है, ओ आनंद में हैं।
याद रखें - जीवन में सच्चा आनंद और शांति ताे सिर्फ व सिर्फ ईश्वरीय ध्यान `या` परमात्म याद (Godly Meditation)  में ही हैं। चाहे अरबों-खरबों (Billions - trillions) इकट्ठा कर लो फिर भी सच्चा आनंद और शांति कभी ना मिलेगी।

साभार वैभवी पाण्डेय

मंगलवार, 8 नवंबर 2016

गोबर भी है बड़े काम की चीज.....

गाय के गोबर से बना डाला मकान
हरियाणा (रोहतक) : वर्तमान में बन रहे मकान गर्मी में तपते हैं तो सर्दी में सिकुड़ने को मजबूर कर देते हैं। इसके पीछे कारण है कि मकान निर्माण में प्रयोग होने वाला लोहा, सीमेंट और पक्की ईंट ऊष्मा को अंदर आने से नहीं रोक पाते। इस समस्या से निजात पाने के लिए डॉ. शिव दर्शन मलिक ने गाय के गोबर एवं जिप्सम को मिलाकर एक मकान तैयार किया है। इस नई तकनीक में नींव से ऊपर एक दाना भी सीमेंट, रोड़ी, पक्की ईंट आदि का प्रयोग नहीं होगा। प्राकृतिक संसाधनों से बने इस भवन में वातानुकूलन की आवश्यकता नहीं। अपने इस अविष्कार को लेकर डॉ. मलिक ने मंगलवार को प्रेसवार्ता की।
शहर के शीला बाईपास के निकट रहने वाले डॉ. मलिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल व अविष्कार में लगे हैं। इन्होंने पूर्व में कृषि कचरे से इंजन, आटा चक्की और ट्यूबवेल भी चलाये हैं। राष्ट्रीय कृषि मेले गंगानगर, राजस्थान में इनको सर्वश्रेष्ठ किसान के रूप में नवाजा जा चुका है।
जिप्सम से बना विशेष प्लास्टर होता हो उपयोग इस भवन में 26, 20 और 4 इंच आकार के जिप्सम ब्लॉक लगे हैं। इनमें एक तरफ कट व दूसरी तरफ उभार है जिससे वे एक-दूसरे में फंस जाते हैं। इनके जोड़ों को भरने के लिए भी सीमेंट का प्रयोग नहीं किया जाता, बल्कि गजिप्सम से निर्मित एक विशेष प्लास्टर उपयोग में लिया जाता है। खास बात ये भी है कि दीवार फटाफट बनती है और बाद में तराई भी नहीं करनी पड़ती।
जिप्सम उष्मा रोधी, ध्वनि रोधी होने के साथ-साथ सर्वश्रेष्ठ अग्नि रोधी पदार्थ है। यह आग लगने के चार घंटे तक नहीं जलता। अगर तब तक भी आग न बुझे तो यह क्रिस्टलीय जल छोड़ने लगता है और आग बुझाने में मदद करता है। जिप्सम गाय का गोबर मिलाने पर यह सोने में सुहागे जैसा काम करता है। गोबर के मिलाने से जिप्सम प्लास्टर की कमियां जैसे की भंगुरपन व पानी सोखना काफी हद तक दूर हो जाती हैं व इसकी मजबूती बढ़ती है।
गौशालाओं की बढ़ेगी आमद डॉ. शिवदर्शन ने बताया कि वे अपने इस नए वैदिक प्लास्टर अविष्कार से गौशालाओं को जोड़ेंगे। इसके गोबर से वे ब्लॉक बनाकर लोगों को मकान बनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इससे लागत बहुत ही कम आती है और गौशालाओं की आमदनी भी बढ़ेगी, क्योंकि उनका गोबर खरीदा जाएगा। उष्मा रोधी भवन की मियाद भी ज्यादा है।
कानपुर , उत्तर प्रदेश



रविवार, 9 अक्टूबर 2016

शव का मांस गिद्धों को खिलाकर किया जाता है अंतिम संस्कार!



जानिये कहाँ और क्यों ?
हर धर्म में इंसान के मौत के बाद अलग अलग विधि विधान से अंतिम संस्कार किया जाता है.

लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे समुदाय भी है जिनमे यह क्रिया बहुत ही अलग  तरीके से निभाई जाती है.

तिब्बत में एक ऐसा ही समुदाय है जो व्रजयान बौद्ध धर्म को मानते है और शव का अंतिम संस्कार शव का मांस गिद्धों को खिलाकर करते है.

इस समुदाय के अनुसार  शरीर से आत्मा के निकलने के बाद वो एक खाली बर्तन है, जिसे सहज के रखने की जरुरत नहीं है. इसलिए वे लोग इसे आकाश में दफ़न कर देते है. इसे sky burial कहा जाता है.

दूसरी बात जो तिब्बत के लोग मानते हैं कि शवों को दफनाने के बाद भी कीड़े मकोड़े ही खा जाते है और इसलिए गिद्धों को खिला देते है.

इस पम्परा के  कुछ प्रमुख कारण भी है.

एक तो  तिब्बत इतनी ऊचाई पर बसा हैं  कि वहा पर पेड़ नहीं होते  है इसलिए वहा पर जलाने के लिए लकड़ियों नहीं मिलती.

दूसरी  बात यह कि तिब्बत की जमीन बहुत पथरीली है उसे दफ़न के लिए खोद पाना लगभग नामुमकिन सा है. यही वजह है कि शवों को दफनाया भी नहीं जा सकता.

यह समुदाय इस अंतिम संस्कार की क्रिया को हज़ारो सालों से करते आ रहे है.

इस क्रिया में पहले शव को शमशान ले जाया जाता है. जो  एक ऊचाई वाले जगह पर होता है. वहाँ पर  बौद्ध भिक्षु  धुप बत्ती जलाकर उस शव की पूजा करते है और  फिर एक शमशान कर्मचारी उस शव के छोटे छोटे टुकड़े करता है. दूसरा कर्मचारी उन टुकड़ों को जौ के आटे के घोल में डुबोता है और फिर वो टुकड़े गिद्धों को खाने के लिए डाल दिए जाते है.

जब गिद्ध सारा मांस खाके चले जाते है उसके बाद उन हड्डियों को इकठ्ठा करके उनका चुरा किया जाता है और जौ के आटे और याक के मक्खन के घोल में डुबो के कौओ और बाज को खिलाया जाता है.

पारसी समुदाय में भी शवों को पक्षियों को खिलाने की कुछ ऐसी ही परंपरा है. लेकिन वो लोग शव को जोरास्ट्रियन (पारसी का मंदिर) में ले जाकर रख देते है जहाँ पक्षी उन्हें अपना भोजन समझकर खा जाते है.

अंतिम संस्कार की ऐसी ही परम्परा मंगोलिया के कुछ इलाको में भी पायी जाती है.

हमें इस तरह की परम्पराएं शायद निर्दयी लगे लेकिन उस जगह की मांग के अनुसार यह क्रिया उचित है.



शनिवार, 1 अक्टूबर 2016

उग्रवाद ने नाप देख ली....कवि कमल 'आग्नेय'

पीओके में सीमा पार जाकर सेना की साहसिक कार्रवाही पर 
कवि कमल आग्नेय की रचना-

राष्ट्रद्रोह के रावण की सांसो का घोडा ठहर गया
सरहद पार तिरंगा अपना स्वाभिमान से लहर गया

आतंकवाद से लड़ने की शक्ति आई दरबार में
इसीलिए सेना ने मारा एलओसी के पार में

आज सियासत बदल गई है डरते डरते जीने की
उग्रवाद ने नाप देख ली छप्पन इंची सीने की

अरे शरीफों आँख खोलकर समझो जरा इशारों को
राख समझकर अब मत छूना 'आग्नेय' अंगारों को

वर्ना घायल रावलपिंडी अपना खुदा पुकारेगी
जब भारत की सेना अबकी अंदर घुसकर मारेगी

लाल रंग के बलिदानों से अजर अमर यह खाकी है
अरे मियां ये ट्रेलर है पूरी पिक्चर तो बाकी है
-कवि कमल 'आग्नेय' 

(सेना के सम्मान में इतना शेयर करें की सेना तक पहुंचे)