एक व्यापारी को नींद न आने की बीमारी थी। उसका नौकर मालिक की बीमारी से दुखी रहता था। एक दिन व्यापारी अपने नौकर को सारी संपत्ति देकर चल बसा।
सम्पत्ति का मालिक बनने के बाद नौकर रात को सोने की कोशिश कर रहा था, किन्तु अब उसे नींद नहीं आ रही थी। एक रात जब वह सोने की कोशिश कर रहा था, उसने कुछ आहट सुनी।
देखा, एक चोर घर का सारा सामान समेट कर उसे बांधने की कोशिश कर रहा था, परन्तु चादर छोटी होने के कारण गठरी बंध नहीं रही थी।
नौकर ने अपनी ओढ़ी हुई चादर चोर को दे दी और बोला,
इसमें बांध लो। उसे जगा देखकर चोर सामान छोड़कर भागने लगा। किन्तु नौकर ने उसे रोककर हाथ जोड़कर कहा,
भागो मत, इस सामान को ले जाओ ताकि मैं चैन से सो सकूँ।
इसी ने मेरे मालिक की नींद उड़ा रखी थी और अब मेरी।
उसकी बातें सुन चोर की भी आंखें खुल गईं।
ज्ञानवर्धक, सुंदर! आभार। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएं:) कहानी अच्छी है पर आज सोना कौन चाहता है सभी पोटली बाँधने में लगे हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सीख देती रचना....
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