बुधवार, 19 फ़रवरी 2025

06 ..चार धाम यात्रा

चार धाम यात्रा 



    शादी की पहली रात थी। सुहाग सेज पर सजी दुल्हन अपने पति के साथ नए जीवन की शुरुआत के सपने देख रही थी। तभी उसका पति स्वादिष्ट भोजन का थाल लेकर कमरे में आया, और कमरे में उस भोजन की खुशबू फैल गई। दुल्हन ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्यों न मां जी को भी बुला लेते? हम तीनों साथ में भोजन करेंगे।" पति ने हंसते हुए कहा, "छोड़ो, मां खाकर सो गई होंगी। आओ, हम प्यार से खाना खाते हैं।"

    दुल्हन ने फिर कहा, "नहीं, मैंने मां जी को खाते हुए नहीं देखा। उन्हें बुला लेते हैं।" इस पर पति ने झुंझलाते हुए जवाब दिया, "तुम क्यों जिद कर रही हो? मां शादी के कामों से थकी होंगी। सो गई होंगी। जब जागेंगी, तब खा लेंगी। आओ, हम अपना खाना खाते हैं।"
    यह सुनकर दुल्हन को एक अजीब सा एहसास हुआ। उसने सोचा कि जो व्यक्ति अपनी मां का ख्याल नहीं रख सकता, वह भला मेरे लिए कितना संवेदनशील होगा? इस बात ने उसे अंदर तक झकझोर दिया। उसने उसी रात अपने जीवन को लेकर एक बड़ा फैसला लिया और कुछ समय बाद उसने अपने पति से तलाक ले लिया।
    समय बीतता गया। दुल्हन ने दूसरी शादी कर ली और अपने जीवन को नई दिशा दी। उसका नया परिवार उसे प्यार और सम्मान देता था। कुछ वर्षों बाद उसके दो बच्चे हुए, जो बेहद सुशील और आज्ञाकारी निकले। उधर, उसका पहला पति भी दूसरी शादी करके अपनी जिंदगी जीने लगा।
    जब वह स्त्री 60 वर्ष की हुई, तो उसने अपने बेटों से चार धाम यात्रा की इच्छा जताई। बेटे तुरंत तैयार हो गए और मां को लेकर यात्रा पर निकल पड़े। एक दिन यात्रा के दौरान भोजन के लिए वे रुके। बेटों ने मां के लिए भोजन परोसा और उसे खाने का आग्रह किया। तभी स्त्री की नजर एक भूखे और गंदे वृद्ध पुरुष पर पड़ी, जो बड़ी कातर निगाहों से उनके भोजन की ओर देख रहा था।
    स्त्री का दिल पिघल गया। उसने अपने बेटों से कहा, "पहले इस वृद्ध को नहलाओ, साफ कपड़े पहनाओ, फिर हम सब साथ में भोजन करेंगे।" बेटे जब उस वृद्ध को नहलाकर और कपड़े पहना कर लाए, तो स्त्री उसे देखकर चौंक गई। वह वृद्ध कोई और नहीं, बल्कि उसका पहला पति था, जिससे उसने सुहागरात को ही तलाक ले लिया था।
    स्त्री ने वृद्ध से पूछा, "तुम्हारी यह हालत कैसे हो गई?" वृद्ध ने नजरें झुकाकर कहा, "मेरे अपने ही बच्चे मुझे भोजन नहीं देते। मेरा तिरस्कार करते हैं और आखिरकार मुझे घर से बाहर निकाल दिया।"
स्त्री ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "मुझे इस दिन का अंदेशा उसी रात हो गया था, जब तुम अपनी मां को खाना खिलाने के बजाय, वह स्वादिष्ट थाल लेकर मेरे पास आ गए थे। मेरे बार-बार कहने के बावजूद तुमने अपनी मां की उपेक्षा की। आज तुम उसी का फल भोग रहे हो।"
    स्त्री की बात सुनकर वृद्ध की आंखें भर आईं। उसने महसूस किया कि जो व्यवहार उसने अपनी मां के साथ किया था, वही उसके बच्चों ने उसके साथ किया। यह घटना हमें सिखाती है कि अपने बुजुर्गों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं। बुजुर्गों का सम्मान और देखभाल केवल कर्तव्य नहीं, बल्कि हमारी अगली पीढ़ी के लिए एक आदर्श है।
-संकलन

सोमवार, 27 जनवरी 2025

05 ..जलियाँवाला बाग में बसंत


जलियाँवाला बाग में बसंत



(जलियाँवाला बाग की घटना बैसाखी को घटी थी,
बैसाखी वसंत से सम्बंधित महीनों (फाल्गुन और चैत्र)
के अगले दिन ही आती है)

यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।

कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,
वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।

परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।

ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना,
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।


वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना,
दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना।

कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गाएं,
भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें।

लाना संग में पुष्प, न हों वे अधिक सजीले,
तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले।

किन्तु न तुम उपहार भाव आ कर दिखलाना,
स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना।

कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर,
कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर।

आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं,
अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।

कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना,
कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना।

तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर,
शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर।

यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना,
यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना।



-सुभद्रा कुमारी चौहान


शनिवार, 25 जनवरी 2025

04 ..मैं हैरान हूँ ... महादेवी वर्मा


(इतिहास में छिपाई गई एक कविता) 

' मैं हैरान हूं,
 यह सोचकर ,
किसी औरत ने क्यों नहीं उठाई उंगली ..??
तुलसी दास पर ,जिसने कहा ,
"ढोल ,गंवार ,शूद्र, पशु, नारी,
ये सब ताड़न के अधिकारी।"

मैं हैरान हूं ,
किसी औरत ने
क्यों नहीं जलाई "मनुस्मृति"
जिसने पहनाई उन्हें
गुलामी की बेड़ियां .??

मैं हैरान हूं ,
किसी औरत ने क्यों नहीं धिक्कारा ..??
उस "राम" को
जिसने गर्भवती पत्नी सीता को ,
परीक्षा के बाद भी
निकाल दिया घर से बाहर
धक्के मार कर
 मैं हैरान हूं ,
किसी औरत ने लानत नहीं भेजी
उन सब को, जिन्होंने
" औरत को वस्तु समझ कर "
लगा दिया था दाव पर
होता रहा "नपुंसक" योद्धाओं के बीच
समूची औरत जाति का चीरहरण ..??
महाभारत में ?

मै हैरान हूं ,
यह सोचकर ,
किसी औरत ने क्यों नहीं किया ..??
संयोगिता अंबा -अंबालिका के
दिन दहाड़े, अपहरण का विरोध
आज तक !

और मैं हैरान हूं ,
इतना कुछ होने के बाद भी
क्यों अपना "श्रद्धेय" मानकर
पूजती हैं मेरी मां - बहने
उन्हें देवता - भगवान मानकर..??
मैं हैरान हूं,
उनकी चुप्पी देखकर
इसे उनकी सहनशीलता कहूं या
अंध श्रद्धा , या फिर
मानसिक गुलामी की पराकाष्ठा .??

महादेवी वर्मा जी की यह कविता, 
किसी भी पाठ्य पुस्तक में नहीं रखी गई है,
क्यों कि यह भारतीय  संस्कृति पर गहरी चोट करती है..

#नारी #नारीशक्ति #औरत #संस्कृति #भारतीय

बुधवार, 8 जनवरी 2025

03 ... ऐ बसन्ती पात पीले

 गीतिका छन्द (एक बंद ब्लॉग से)



ऐ बसन्ती पात पीले, हाथ पीले मैं चली,
बिछ गई रौनक सजीली, है छबीली हर कली ।

आम पर नव बौर आई, ठौर पाई रीत की,
रात कोयल गुनगुनाई, राग डोली प्रीत की ।

आ गए राजा बसन्ती, क्या छटा रस रूप की
मैं निराली संग हो ली, चिर सुहागिन भूप की ।

नाम मेरा सरस सरसों, बरस बीते मैं खिली,
देख निज राजा बसन्ती, पुलकती फूली फली ।

अब हवा में छैल भरती, गैल भरती नेह की,
ज्यों बढ़ाती धूप नन्दा, नव सुगन्धा देह की ।

रात भर चलती बयारें, टोह मारे बाज सी,
प्राण सेतू बह्म सींचें, आँख मींचे लाज सी ।

देस धानी प्रीत घोले, मीत बोले नैन में,
तन गुजरियाँ राह चलतीं, ढार मटकी चैन में ।

त्योंरियाँ छैला गुलाबी, यों चढ़ाता मान से,
धार से काँकर बजाता, मोह लेता गान से ।

करुणा सक्सेना
मूल रचना

रविवार, 5 जनवरी 2025

02 ..बावरी कोयलिया




मद भरी मादक
सुगंध से 
आम्र मंजरी की
पथ-पथ में....

कूक कूक कर
इतराती फिरे
बावरी
कोयलिया....

है जाती
जहाँ तक नजर
लगे मनोहारी
सृष्टि सकल
छा गया
उल्लास....चारों 
दिशाओं में
री सखि देखो
बसन्त आ गया

-दिग्विजय 




गुरुवार, 2 जनवरी 2025

01 मौन.. पहाड़ का


नग्न काया
परवत का
बजा रहा
संगीत 
पतझड़ का

कुछ विरहगान
गुनगुनाती
पहाड़ी लड़कियाँ
गीत में...है 
समाया हुआ
दुःख पहाड़ का

सिकुड़कर 
लाज से
सिसकते सिकुड़ी सी 
नदी 'औ'
जंगल तोड़ रहे
मौन...पहाड़ का

और नदी के
छलछलाने की
आवाज़ भी
भंग करती है
मौन ... पहाड़ का 
- दिग्विजय

शनिवार, 21 दिसंबर 2024

आत्मविश्वास का एक उदाहरण

आत्मविश्वास का एक उदाहरण क्या है?



एक व्यापारी पर बड़ा कर्ज हो गया था। उसको इस मुसीबत से बचने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। उसके पास लगातार लेनदारों के फोन आ रहे थे। एक दिन पार्क में बैठा वो सोच रहा था कि आखिर इस समस्या से कैसे बाहर आया जाए। वह खुद से कह रहा था कि कोई चमत्कार ही मेरी कंपनी को दिवालिया होने से बचा सकता है।

अचानक एक बूढ़ा आदमी उसके पास आया। बूढ़े व्यक्ति ने पूछा, मैं जानना चाहता हूं कि आप क्यों परेशान हैं। बिजनेसमैन ने उनको सारी बात बता दी। बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि मुझे लगता है मैं आपकी मदद कर सकता हूं। उन्होंने उसका नाम पूछा और एक चेक दे दिया। कहा कि यह पैसा लो। आज से एक साल बाद मुझे मिलना और यह रकम मुझे वापस कर देना। तब तक इस रकम को इस्तेमाल कर सकते हो।

चेक देने के बाद बूढ़े व्यक्ति ने अपनी राह पकड़ ली। बिजनेसमैन ने उनके जाने के बाद चेक देखा तो चौंक गया। 50 लाख के चेक पर दुनिया के एक अमीर व्यक्ति के सिगनेचर थे। उसने सोचा कि इस चेक से वह अपनी सभी देनदारी को एक पल में निपटा सकता है। मेरी सभी मुसीबतों को निपटारा कर देगा यह चेक।

लेकिन व्यापारी ने इस चेक को कैश कराने की बजाय अपनी अलमारी में रख दिया। अब यह चेक उसकी ताकत बन गया था। उसका आत्मविश्वास बढ़ गया था। किसी भी परिस्थिति से निपटने में यह चेक उसको मदद करेगा, यह बात मनोमस्तिष्क पर बैठ गई थी। व्यापारी ने नई आशा के साथ अपने बिजनेस की शुरुआत की। सकारात्मक और आशा और आत्मविश्वास पूर्ण माहौल उसके बिजनेस की ताकत बन गए। बिजनेस धीरे-धीरे फिर से पटरी पर आने लगा। कर्ज भी निपटने लगा। वह कर्ज से बाहर आ गया और एक बार फिर से धन कमा रहा था।

एक वर्ष बाद वह चेक के साथ पार्क में वापस लौटा। बूढ़े व्यक्ति से उसकी मुलाकात हो गई। उसने बूढ़े व्यक्ति को सफलता की कहानी सुनाई और उनका चेक वापस कर दिया। वह बूढ़े व्यक्ति से बात ही कर रहा था कि अचानक एक नर्स शोर मचाती हुई उनके पास पहुंची। उसने बूढ़े व्यक्ति को पकड़ लिया।

नर्स ने व्यापारी से पूछा कि क्या यह आपको परेशान कर रहा है। यह हमेशा घर से भाग जाता है और खुद को दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति बताते हुए चेक बांटता है। क्या इसने आपको भी कोई चेक दिया है। इनके किसी भी चेक पर विश्वास नहीं करना। ऐसा कहते हुए वह बूढ़े व्यक्ति को अपने साथ ले गई।

नर्स की बात सुनकर व्यापारी स्तब्ध रह गया।वह सोचने लगा पचास लाख के जिस चेक के सहारे अपने बिजनेस को संभालने में लगा रहा वह झूठा था, वह फर्जी था। लेकिन इस चेक ने उसको बिजनेस डील करने के लिए जो आत्मविश्वास दिया, वह कम नहीं था।
-संकलन