देर रात को अचानक सीमा का दर्द बढ़ गया था। सॉंस लेने में भी उसे तकलीफ़ सी होने लगी थी। “कहीं ये हार्ट अटैक तो नहीं ! ”ये विचार मन में आते ही वो पसीने से भर उठी।
“हे भगवान! पालक-मेथी तो साफ़ ही नहीं किए,मटर भी छिलने बाक़ी थे।ऊपर से फ़्रीज़ में मलाई का भगोना भी पूरा भरा रखा हुआ है,आज मक्खन निकाल लेना चाहिए था। अगर मर गई तो लोग कहेंगे कि कितना गंदा फ़्रीज़ कर रखा था। कपड़े भी प्रेस को नहीं डाले।चावल भी ख़त्म हो रहे हैं, आज बाज़ार जाकर राशन भर लेना चाहिए था।
मेरे जाने के बाद जो लोग बारह दिनों तक यहाँ रहेंगे, उनके पास तो मेरे मिस-मैनेजमेंट के कितने सारे क़िस्से होंगे।”
अब सीमा सीने का दर्द भूलकर काल्पनिक अपमान के दर्द को महसूस करने लगी। “नहीं भगवान! प्लीज़ आज मत मारना। आज ना तो मैं प्रिपेयर हूँ और ना ही मेरा घर।” यही प्रार्थना करते-करते सीमा गहरी नींद में सो गई
-व्हाट्'अप