आज पूनम लव मैरिज कर अपने पापा के पास आयी, और अपने
पापा से कहने लगी "पापा मैंने अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली " उसके पापा बहुत गुस्सें में थे, पर वो बहुत सुलझें शख्स थे,
उन्होने बस अपनी बेटी से इतना कहा " मेरे घर से निकल जाओ "
बेटी ने कहा -"अभी इनके पास कोई काम नही हैं, हमें रहने दीजिए
हम बाद में चलें जायेंगे " पर उसके पापा ने एक नही सुनी
और उसे घर से बाहर कर दिया .........
कुछ साल बीत गये... दुर्भाग्यवश जिस लड़के से पूनम ने शादी की थी वो उसे धोखा देकर भाग गया, पूनम की एक लड़की और एक लड़का था, पूनम खुद का एक रेस्टोरेंट चला रही थी, जिससे उसका जीवन यापन हो रहा था.........तभी पूनम के पापा चल बसे l
पूनम को जब ये खबर हुई उसके पापा नही रहे, तो उसने मन में सोचा अच्छा हुआ, मुझे घर से निकाल दिया था, दर-दर की ठोकरें खाने छोड़ दिया, मेरे पति के छोड़ जाने के बाद भी मुझे घर नही बुलाया, मैं तो नही जाऊंगी उनकी अंतिम यात्रा में, पर उसके ताऊ जी ने कहा -"पूनम हो आवो , जाने वाला शख्श तो चला गया अब उनसे दुश्मनी कैसी, पूनम ने पहले हाँ ना किया फिर सोचा चलो हो आती हूं, देखू तो जिन्होने मुझे ठुकराया वो मरने के बाद कैसे सुकून पाता है ............
पूनम जब अपने पापा के घर आयी तो सब उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहें थें, पर पूनम को उनके मरने का कोई दुख नही था, वो तो बस अपने ताऊजी के कहने पर आयी थी, अब पूनम के पापा की अंतिमयात्रा शुरू हुई, सब रो रहे थे पर पूनम दूर खड़ी हुई थी,
जैसे तैसे सब कार्यक्रम निपट गया, आज पूनम के पापा की
तेरहवी थी, उसके ताऊ जी आए और पूनम के हाथ में
एक खत देते हुये कहा, ये तुम्हारे पापा ने तुम्हें दिया है,
हो सके तो इसे पढ़ लेना..........
रात हो चुकी थी सारे मेहमान जा चुके थे, पूनम ने वो खत निकाला और पढ़ने लगी,उसने सबसे पहले लिखा था,
मेरी प्यारी गुड़िया मुझे मालूम है, तुम मुझसे नराज हो,
पर अपने पापा को माफ कर देना, मै जानता हूं, तुम्हें मैंने घर से निकाला था, तुम्हारे पास रहने की जगह नही थी, तुम दर-दर की ठोकरें खा रही थी, पर मैं भी उदास था, तुम्हें कैसे बताऊँ.....
"याद है तुम्हें जब तुम पाँच साल की थी, तब तुम्हारी माँ हमें
छोड़ के चली गयी थी, तब तुम कितना रोती थी, डरती थी,
मेरे बिना सोती नही थी, रातों को उठकर रोती थी, तब मैं भी
सारी रात तुम्हारे साथ जागता था, तुम जब स्कूल जाने से
डरती थी, तब मैं भी सारा वक्त तुम्हारे स्कूल के खिडकी पर
खड़ा होता था, और जैसे ही तुम स्कूल से बाहर आती थी, तुम्हें
सीने से लगा लेता था, वो कच्चा-पक्का खाना याद है, जो
तुम्हें पसंद नही आता था, मैं उसे फेंक कर फिर से तुम्हारे
लिए नया बनाता था, की तुम भूखी ना रहो, याद है तुम्हें जब
तुम्हें बुखार आया था, तो मैं सारा दिन तुम्हारे पास बैठा
रहता था, अंदर ही अंदर रोता था, पर तुम्हें हंसाता था,
की तुम ना रोओ वरना मैं रो पड़ता था,
वो पहली बार हाईस्कूल की परीक्षा जब तुम रात भर पढ़ती थी,
तो मैं सारी रात तुम्हें चाय बनाकर देता था,
याद है तुम्हें जब तुम पहली बार कालेज गयी थी, और तुम्हें लड़को ने छेड़ा था, तो मैं तुम्हारे साथ कालेज गया और उन बदतमीज
लड़को से भिड़ गया, उम्र हो गयी थी, और मैं कमजोर भी,
कुछ चोटे मुजे भी आयी थी, पर हर लड़की की नजर में पापा
हीरो होते हैं, इसलिए अपना दर्द सह गया................
"याद है तुम्हें वो तुम्हारी पहली जीन्स वो छोटे कपड़े, वो गाड़ी,
सारी कालोनी एकतरफ थी की ये सब नही चलेगा, लड़की
छोटे कपड़े नही पहनेगी, पर मैं तुम्हारे साथ खड़ा था, किसी को तुम्हारी खुशी में बाधा बनने नही दिया, तुम्हारा वो रातों को देर से आना कभी-कभी शराब पीना, डिस्को जाना, लड़को के साथ घूमना, इन सब बातों को कभी मैंने गौर नही किया, क्यूकि जिस उम्र में थी उस उम्र मे ये सब थोड़ा बहुत होता हैं, ......................
पर एक दिन तुम एक लड़के से शादी कर आयी, वो भी उस लड़के से जिसके बारे में तुम्हें कुछ भी पता नही था, तुम्हारा पापा हूं, मैंने उस लड़के के बारे मे सब पता किया, उसने ना जाने वासना
और पैसे के लिए कितनी लड़कियों को धोखा दिया, पर तुम तो
उस वक्त प्रेम में अंधी थी, तुमने एक बार भी मुझसे नही पूछा,
और सीधा शादी कर के आ गयी, मेरे कितने अरमान थें, तुम्हें
डोली में बिठाऊ, चाँद, तारों की तरह तुम्हें सजाऊ, ऐसी धूमधाम
से शादी करूँ की लोग बोल पड़े वो देखों शर्माजी जिन्होने अपनी
बच्ची को इतने नाजों से अकेले पाला हैं, पर तुमने मेरे सारे ख्वाब
तोड़ दियें, "खैर" इन सब बातों का कोई मतलब नही हैं,मैंने तो
तुम्हारें लिए खत इसलिए छोड़ा है की कुछ बात कर सकूं.......
मेरी "गुड़िया" आलमारी में तुम्हारी माँ के गहने और मैंने जो तुम्हारी शादी के लिए गहने खरीदें तो वो सब रखें हैं, तीन चार घर
और कुछ जमीनें है मैंने सब तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के नाम कर
दी हैं, कुछ पैसें बैंक में है तुम बैंक जाकर उसे निकाल लेना,
"और आखिरी में बस इतना ही कहूंगा गुडिया काश तुमने मुझे
समझा होता मैं तुम्हारा दुश्मन नही था, तुम्हारा पापा था, वो पापा जिसने तुम्हारी माँ के मरने के बाद भी, दूसरी शादी नही की लोगो
के ताने सुने, गालियाँ सुनी, ना जाने कितने रिश्तें ठुकराए
पर तुम्हें दूसरी माँ से कष्ट ना हो इसलिए खुद की ख्वाहिशें मार दी....
अंत में बस इतना ही कहूंगा मेरी गुड़िया, जिस दिन तुम शादी के
जोड़े पर घर आयी थी ना, तुम्हारा बाप पहली बार टूटा था, तुम्हारे
माँ के मरने के वक्त भी उतना नही रोया जितना उस वक्त
और उस दिन से हर दिन रोया इसलिए नही की समाज,जात,परिवार,रिश्तेदार क्या कहेंगें....
इसलिए वो जो मेरी नन्ही सी गुड़िया मुझे हर बात बताती थी , पर जिसने शादी का इतना बड़ा फैसला लिया पर मुझे एक बार भी बताना सही नही समझा, गुड़िया अब तो तुम भी माँ हो औलाद का
दर्द खुशी सब क्या होता हैं, वो जब दिल तोड़ते हैं तो कैसा लगता हैं, ईश्वर तुम्हें कभी ना ये दर्द की शक्ल दिखाए, एक खराब पिता ही समझ के मुजे माफ कर देना मेरी गुड़िया, तुम्हार पापा अच्छा नही था, जो तुमने उसे इतना बड़ा दर्द दिया, अब खत यही समाप्त कर रहा हूं, हो सकें तो माफ कर देना, और खत के साथ एक ड्राइंग लगी थी जो खुद कभी पूनम ने बचपन में बनाई थी, और उसमें लिखा था आई लव यू मेरे पापा मेरे हीरो मैं आपकी हर बात मानूंगी, ........
पूनम रो ही रही थी, उतने में उसके ताऊजी आ गयें, पूनम ने उन्हें रोते-रोते सब बताया, पर एक बात उसके ताऊजी ने बताई, उसके ताऊजी ने कहा-" पूनम वो जो तुम्हें रेस्टोरेंट खोलने और घर खरीदने के पैसे मैंने नही दिये थे, वो पैसे तुम्हारे पिताजी ने मुझसे दिलवाए थे, क्यूकि औलाद चाहे कितनी भी बुरी हो , माँ-बाप कभी बुरे नही होते, औलाद चाहे माँ-बाप को छोड़ दे माँ-बाप मरने के बाद भी अपने बच्चों को दुआ देते हैं,
दोस्तों पूनम के पापा को सुकून मिलेगा या नही मुजे नही पता,
पर उस खत को पढ़ने के बाद, शायद सारी जिंदगी, पूनम को
सुकून नही मिलेंगा ...........
बस इतना ही कहूंगा, आखिर में दोस्तों, लव मैरिज शादी करना कोई गलत बात नही, पर यही अपने माँ-पिताजी की मर्जी शामिल
कर लें, पत्थर से पानी निकल जाता हैं, वो तो माँ-बाप है ना कब
तक नही टूटेंगें अपने बच्चों की खुशी के लिए, हर बाप की एक
इच्छा होती हैं अपनी बेटी को अपने हाथों से डोली में विदा करने की
हो सकें तो उसे एक सपना मत रहने दीजिए l