शनिवार, 30 जुलाई 2016

शांतिपूर्ण और सुखमय वैवाहिक जीवन












राज....
एक दंपत्ति नें जब अपनी शादी की 25
वीं वर्षगांठ मनायी तो एक पत्रकार
उनका साक्षात्कार लेने पहुंचा.
वो दंपत्ति अपने शांतिपूर्ण और सुखमय
वैवाहिक जीवन के लिये प्रसिद्ध थे. 
उनके बीच कभी नाम मात्र का भी तकरार नहीं हुआ था.
लोग उनके इस सुखमय वैवाहिक जीवन का राज
जानने को उत्सुक थे.....
पति ने बताया :
हमारी शादी के फ़ौरन बाद हम हनीमून मनाने
शिमला गये. वहाँ हम लोगो ने घुड़सवारी की.
मेरा घोड़ा बिल्कुल ठीक था 
लेकिन मेरी पत्नी का घोड़ा थोड़ा नखरैल था.
उसने दौड़ते दौड़ते अचानक मेरी पत्नी को गिरा दिया.
मेरी पत्नी उठी और घोड़े के पीठ पर हाथ फ़ेरकर कहा :
"यह पहली बार है",
और फ़िर उसपर सवार
हो गयी. थोड़े दूर चलने के बाद घोड़े ने फ़िर उसे
गिरा दिया. पत्नी ने घोड़े से फ़िर कहा : "यह
दुसरी बार है",
और फ़िर उस पर सवार हो गयी.
लेकिन थोड़े दूर जा कर घोड़े ने फ़िर उसे
गिरा दिया. 
अबकी पत्नी ने कुछ नहीं 
कहा.
चुपचाप अपना पर्स खोला, 
पिस्तौल निकाली और घोड़े को गोली मार दी.
मुझे देखकर काफ़ी गुस्सा आया और 
मैं जोर से पत्नी पर चिल्लाया : "ये तुमने क्या किया, पागल हो गयी हो?"
पत्नी ने मेरी तरफ़ देखा और कहा :
"ये पहली बार है"
और बस उसके बाद से हमारी ज़िंदगी सुख और
शांति से चल रही है |||

-व्हाट्एप से प्राप्त
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शनिवार, 23 जुलाई 2016

तोता बेहोश हो गया...



पिंजरे का तोता

एक समय की बात हैं, एक सेठ और सेठानी रोज सत्संग में जाते थे। सेठजी के एक घर एक पिंजरे में तोता पाला हुआ था। तोता रोज सेठ-सेठानी को बाहर जाते देख एक दिन पूछता हैं कि सेठजी आप रोज कहाँ जाते है। सेठजी बोले कि भाई सत्संग में ज्ञान सुनने जाते है। तोता कहता है सेठजी फिर तो कोई ज्ञान की बात मुझे भी बताओ। तब सेठजी कहते हैं की ज्ञान भी कोई घर बैठे मिलता हैं। इसके लिए तो सत्संग में जाना पड़ता हैं। तोता कहता है कोई बात नही सेठजी आप मेरा एक काम करना। सत्संग जाओ तब संत महात्मा से एक बात पूछना कि में आजाद कब होऊंगा।

सेठजी सत्संग ख़त्म होने के बाद संत से पूछते है की महाराज हमारे घर जो तोता है उसने पूछा हैं की वो आजाद कब होगा? संत को ऐसा सुनते हीं पता नही क्या होता है जो वो बेहोश होकर गिर जाते है। सेठजी संत की हालत देख कर चुप-चाप वहाँ से निकल जाते है। 

घर आते ही तोता सेठजी से पूछता है कि सेठजी संत ने क्या कहा। सेठजी कहते है की तेरे किस्मत ही खराब है जो तेरी आजादी का पूछते ही वो बेहोश हो गए। तोता कहता है कोई बात नही सेठजी मैं सब समझ गया।

दूसरे दिन सेठजी सत्संग में जाने लगते है तब तोता पिंजरे में जानबूझ कर बेहोश होकर गिर जाता हैं। सेठजी उसे मरा हुआ मानकर जैसे हीं उसे पिंजरे से बाहर निकालते है तो वो उड़ जाता है। सत्संग जाते ही संत सेठजी को पूछते है की कल आप उस तोते के बारे में पूछ रहे थे ना अब वो कहाँ हैं। सेठजी कहते हैं, हाँ महाराज आज सुबह-सुबह वो जानबूझ कर बेहोश हो गया मैंने देखा की वो मर गया है इसलिये मैंने उसे जैसे ही बाहर निकाला तो वो उड़ गया।

तब संत ने सेठजी से कहा की देखो तुम इतने समय से सत्संग सुनकर भी आज तक सांसारिक मोह-माया के पिंजरे में फंसे हुए हो और उस तोते को देखो बिना सत्संग में आये मेरा एक इशारा समझ कर आजाद हो गया।

जो मनुष्य संसार के विषयों से उपराम होकर मृतक समान अनभिज्ञ और निष्काम ,निरभिमान हो जाता है वो सदा के लिए जन्म मरण के बन्धन से छूटकर अमर जीवन प्राप्त कर लेता है