रविवार, 18 फ़रवरी 2018

चुड़ैल या परी

                                        
            पुराने समय की बात है, एक विद्वान को फांसी लगनी थी। राजा ने कहा, "जान बख्श दें सही उत्तर मिल जाये कि आखिर स्त्री चाहती क्या है?"
             विद्वान ने कहा, मोहलत मिले तो पता कर के बता सकता हूँ। एक साल की मोहलत मिली, बहुत घूमा, कहीं से भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। आखिर में किसी ने कहा दूर एक चुड़ैल रहती है वही बता सकती है। चुड़ैल ने कहा कि मै इस शर्त पर बताउंगी जब तुम मुझसे शादी करो। उसने जान बचाने के लिए शादी की सहमति दे दी।
शादी होने के बाद चुड़ैल ने कहा, चूंकि तुमने मेरी बात मान ली है, तो मैंने तुम्हें खुश करने के लिए फैसला किया है कि 12 घन्टे मैं चुड़ैल और 12 घन्टे खूबसूरत परी बनके रहूंगी, अब तुम ये बताओ कि दिन में चुड़ैल रहूँ या रात को।

         

          उसने सोचा यदि वह दिन में चुड़ैल हुई तो दिन नहीं कटेगा, रात में हुई तो रात नहीं कटेगी। अंत में उस विद्वान कैदी ने कहा, जब तुम्हारा दिल करे परी बन जाना, जब दिल करे चुड़ैल बनना।
ये बात सुनकर चुड़ैल ने प्रसन्न होकर कहा, चूंकि तुमने मुझे अपनी मर्ज़ी की करने की छूट दे दी है, तो मै हमेशा ही परी बन के रहा करूँगी। "यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर भी है।" 

          स्त्री अपनी मर्जी का करना चाहती है। यदि स्त्री को अपनी मर्ज़ी का करने देंगे तो, वो परी बनी रहेगी वरना चुड़ैल !
आज का भी सच यही है ! मन का करने दीजिये स्त्री को ! वो खुश रहेगी तभी आप खुश रह सकेंगे !

10 टिप्‍पणियां:

  1. 😁 😁 😁 बहुत मजेदार कथा. स्त्री ही नहीं हर कोई चाहता है कि जो कुछ हो उसी की मर्जी का हो.

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  2. वाह ! मनोरंजक, कमाल की कथा ! पर मैं भी सहमत हूँ सुधाजी की बात से कि सभी तो अपनी ही मर्जी का करना चाहते हैं।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (19-02-2018) को "सौतेला व्यवहार" (चर्चा अंक-2885) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नलिनी जयवंत और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  5. आदरणीय दिग्विजय जी ---कथा बहुत रोचक भी है और सार्थक भी | पर मेरा प्रश्न -- क्या सिर्फ नारी ही ऐसा चाहती है की मन का हो --पुरुष नहीं ? सच तो ये हैं कि हर इंसान अपनी इच्छाओं की पूर्ति चाहता है पर दुष्प्रचार केवल नारी के लिए | बहरहाल सुंदर कहानी | सादर

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  6. रेणु बहन..
    वन्दे...
    आभार....
    बहुत अच्छा प्रश्न....
    इसका उत्तर दूँगा...आनलाईन आकर
    सादर...

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  7. रेणु बहन..
    वन्दे...
    आभार....
    बहुत अच्छा प्रश्न....
    इसका उत्तर दूँगा...आनलाईन आकर
    सादर...

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  8. आदरणीय कहानी बहुत ही रोचक है परंतु क्यों महिलाओं पर ही व्यंग्य किया जाता हैं

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