रविवार, 26 नवंबर 2017

Awesome Paper Art .......S.P.Chari

Jeff Nishinaka, paper sculptor, was born in Los Angeles and gained international recognition in the past fifteen years through his unique representational art forms in 3-Dimension. He pioneered paper sculpture in the US advertising, promotion, and publishing fields. Since then he has worked non-stop as the premiere paper sculptor in both commercial advertising, illustration, and fine art.

Generally using Strathmore 2-ply and 3-ply kid finish papers (and sometimes using watercolor paper or handmade papers), he tears and cuts the paper into three-dimensional sculptures.



















Presented by: S.P.Chari
sp chari seshampc@yahoo.com

Courage.......Cool Fun Club












Courage does not have to roar to be heard,
It does not mean being totally fearless and being invincible,
It could mean taking actions, taking risk, taking stand,
Standing up for yourself, standing by your choices,
And sticking to your dreams when others jeered.

Courage could be the will to live in spite of the struggles,
In spite of your fears and phobias, in spite of what others said,
In spite of criticism and disapproval's, in spite of mistakes and failures,
In spite of everything that stand between you and your dreams.

Courage could mean trying over and over again when you
failed, Admitting that you are sorry when you are in the wrong,
Saying "I Love You" when your love is angry,
Having a baby when the idea of being a parent scared you,
Listening to your heart when others called you a fool,
 Following your dreams even when others discourage you,
And staying true to yourself when others want you in another way.

Hold steadfast to your dreams, your heart and yourself,
And Courage will not abandon you,





But follow you whenever you choose to go.
Courtesy : Cool Fun Club

शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

एक सही सोच....अखण्ड ज्याति से


कार से उतरकर भागते हुए हॉस्पिटल में पहुंचे नौजवान बिजनेस मैन ने पूछा..

“डॉक्टर, अब कैसी हैं माँ?“ हाँफते हुए उसने पूछा।

“अब ठीक हैं। माइनर सा स्ट्रोक था। ये बुजुर्ग लोग उन्हें सही समय पर लें आये, वरना कुछ बुरा भी हो सकता था। “ 

डॉ. ने पीछे बेंच पर बैठे दो बुजुर्गों की तरफ इशारा कर के जवाब दिया।

“रिसेप्शन से फॉर्म इत्यादि की फार्मैलिटी करनी है अब आपको।” डॉ. ने जारी रखा।

“थैंक यू डॉ. साहब, वो सब काम मेरी सेक्रेटरी कर रही हैं“ अब वो रिलैक्स था।

फिर वो उन बुजुर्गों की तरफ मुड़ा.. “थैंक्स अंकल, पर मैनें आप दोनों को नहीं पहचाना।“ 

“सही कह रहे हो बेटा, तुम नहीं पहचानोगे क्योंकि हम तुम्हारी माँ के वाट्सअप फ्रेंड हैं ।” एक ने बोला।

“क्या, वाट्सअप फ्रेंड ?” चिंता छोड़ , उसे अब, अचानक से अपनी माँ पर गुस्सा आया।

“60 + नॉम का  वाट्सप ग्रुप है हमारा।” “सिक्सटी प्लस नाम के इस ग्रुप में साठ साल व इससे ज्यादा उम्र के लोग जुड़े हुए हैं। इससे जुड़े हर मेम्बर को उसमे रोज एक मेसेज भेज कर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी अनिवार्य होती है, साथ ही अपने आस पास के बुजुर्गों को इसमें जोड़ने की भी ज़िम्मेदारी दी जाती है।”

“महीने में एक दिन हम सब किसी पार्क में मिलने का भी प्रोग्राम बनाते हैं।”

“जिस किसी दिन कोई भी मेम्बर मैसेज नहीं भेजता है तो उसी दिन उससे लिंक लोगों द्वारा, उसके घर पर, उसके हाल चाल का पता लगाया जाता है।”

आज सुबह तुम्हारी माँ का मैसेज न आने पर हम 2 लोग उनके घर पहुंच गए..।

वह गम्भीरता से सुन रहा था। “पर माँ ने तो कभी नहीं बताया।" उसने धीरे से कहा।

“माँ से अंतिम बार तुमने कब बात की थी बेटा? क्या तुम्हें याद है ?” एक ने पूछा।

बिज़नेस में उलझा, तीस मिनट की दूरी पर बने माँ के घर जाने का समय निकालना कितना मुश्किल बना लिया था खुद उसने।

हाँ पिछली दीपावली को ही तो मिला था वह उनसे गिफ्ट देने के नाम पर।

बुजुर्ग बोले..  “बेटा, तुम सबकी दी हुई सुख सुविधाओं के बीच, अब कोई और माँ या बाप अकेले घर मे कंकाल न बन जाएं... बस यही सोच ये ग्रुप बनाया है हमने। वरना दीवारों से बात करने की तो हम सब की आदत पड़ चुकी है।”

उसके सर पर हाथ फेर कर दोनों बुज़ुर्ग अस्पताल से बाहर की ओर निकल पड़े। नवयुवक एकटक उनको जाते हुए देखता ही रह गया।

अगर ये आपको कुछ सीख दे तो कृपया किसी और को भी भेजने में संकोच ना करे?
-अखण्ड ज्याति से