बुधवार, 19 जुलाई 2017

उधर चेहरा बदल लेते हैं लोग....अमृत

हवा के रुख के साथ ही, मसीहा बदल लेते हैं लोग।
इधर मौसम बदलते हैं, उधर चेहरा बदल लेते हैं लोग।।

बदल  बदल कर लोग, बदल रहे हैं ज़िन्दगी।
इधर टोपी बदलते  हैं, उधर  सेहरा  बदल लेते है लोग।।

कौन जाने कैसे पूरा करेंगे, वे अपना सफर।
इधर  किश्ती  बदलते हैं, उधर किनारा बदल लेते हैं।। 

रंग बदलना तो कोई गिरगिट, आदमजात से सीखे।
इधर चेहरा बदलते हैं, उधर मोहरा बदल लेते हैं लोग।।

हवा के रुख के  साथ ही, मसीहा बदल लेते हैं लोग।
इधर मौसम बदलते हैं, उधर चेहरा बदल लेते हैं लोग।।

-अमृत

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी ये रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 21 जुलाई 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. जीवन में अवसरवादिता को अपनाने का कारण ख़ुद की कमज़ोरियाँ और संघर्ष से पलायन का रुख़ और रुझान होता है। व्यंग की छटा बिखेरती गंभीर रचना।

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  3. जीवन में अवसरवादिता को अपनाने का कारण ख़ुद की कमज़ोरियाँ और संघर्ष से पलायन का रुख़ और रुझान होता है। व्यंग की छटा बिखेरती गंभीर रचना।

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  4. सटीक .....सुन्दर....
    लाजवाब प्रस्तुति..

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