सोमवार, 28 अगस्त 2017

लिखने वाला क्यों लिखता है....पावनी दीक्षित "जानिब"

लिखने वाला क्यों लिखता है मिलन के साथ बिछोड़े 
दिल में प्यार का महल बनाकर ये बनके पत्थर तोड़े। ।

कोई कसक है धड़कन में दिल मुश्किल से धड़कता है
जाने कैसी याद है तेरी जो बस सांस है दिल से जोड़े ।

दर्द हमारे बसमें नहीँ है चाहत में कोई रस्में नहीं हैं 
बह ना जाए दुनिया निगोड़ी मैनें अश्कों के बांध है छोड़े ।

अब सोचूं मुझे भूल गए हो फिर सोचूं तुम रूठ गए हो 
टूटे दिल के टुकड़े लेकर मैंने कितनी बार हैं जोड़े।

आसां नहीं दिलका लगाना इश्क़ का मतलब ही है मिटाना
इस बैरन चाहत की गली में अब कोई कदम न मोंड़े ।

"जानिब" मेरी आह में ढलके आए लब पे गीत मचलके
अपना क्या है कट ही जाएंगे जीवन के दिन थोड़े ।
-पावनी दीक्षित "जानिब"
महफिल से...

5 टिप्‍पणियां:

  1. अब सोचूं मुझे भूल गए हो फिर सोचूं तुम रूठ गए हो
    टूटे दिल के टुकड़े लेकर मैंने कितनी बार हैं जोड़े।......सुन्दर!!!

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  2. आपकी लिखी रचना  "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 30अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. वाह ! ,बेजोड़ पंक्तियाँ ,सुन्दर अभिव्यक्ति ,आभार।

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